
भारत में बैटरी गीगाफैक्ट्री की स्थापना को लेकर तेजी से गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, जहां देश की कई प्रमुख कंपनियाँ इस उभरते हुए क्षेत्र में बड़े स्तर पर निवेश कर रही हैं। भारत सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत Advanced Chemistry Cell (ACC) बैटरी निर्माण को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे भारत को ग्लोबल बैटरी सप्लाई चेन में एक अहम स्थान दिलाने की तैयारी की जा रही है। रिलायंस इंडस्ट्रीज़, ओला इलेक्ट्रिक, टाटा समूह, अमारा राजा, एक्साइड इंडस्ट्रीज़, लॉग 9 मटेरियल्स और जेएसडब्ल्यू एनर्जी जैसी कंपनियाँ इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज़: जामनगर से बनेगा भारत का बैटरी हब
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने जामनगर, गुजरात में अपनी बैटरी गीगाफैक्ट्री की नींव रखी है, जिसकी प्रारंभिक क्षमता 30 GWh रखी गई है। कंपनी की योजना इसे भविष्य में 100 GWh तक विस्तार देने की है। यह गीगाफैक्ट्री बैटरी असेंबली, सेल निर्माण और बैटरी केमिकल उत्पादन पर केंद्रित होगी। PLI योजना के तहत रिलायंस को 10 GWh ACC निर्माण के लिए चयनित किया गया है। उत्पादन 2026 की दूसरी छमाही में शुरू होने की उम्मीद है। यह पहल रिलायंस की ग्रीन एनर्जी और Renewable Energy के क्षेत्र में बड़ी रणनीति का हिस्सा है।
ओला इलेक्ट्रिक: तमिलनाडु से क्रांति की तैयारी, पर समयसीमा बनी बाधा
ओला इलेक्ट्रिक ने कृष्णगिरि, तमिलनाडु में अपनी गीगाफैक्ट्री की शुरुआत की है, जिसकी प्रारंभिक क्षमता 1.5 GWh रखी गई है और इसे 20 GWh तक विस्तारित करने की योजना है। कंपनी भविष्य की तकनीकों जैसे 4680 फॉर्म फैक्टर और सॉलिड-स्टेट बैटरियों पर कार्य कर रही है। हालांकि, PLI योजना के तहत तय समयसीमा का पालन न करने के कारण ओला पर ₹12.5 लाख प्रतिदिन का जुर्माना लगाया गया है। यह दर्शाता है कि तकनीकी क्षमता के बावजूद नियामकीय शर्तों का पालन एक बड़ी चुनौती है।
अमारा राजा: तेलंगाना में चीन की साझेदारी से नई शुरुआत
अमारा राजा ने महबूबनगर, तेलंगाना में अपनी बैटरी निर्माण सुविधा की योजना बनाई है, जिसकी क्षमता 16 GWh लिथियम-आयन सेल और 5 GWh बैटरी पैक की होगी। कंपनी ने इस दिशा में चीन की Gotion High Tech के साथ एक लाइसेंसिंग समझौता भी किया है। यह भारत-चीन तकनीकी सहयोग का एक अहम उदाहरण है, जहां भारत के औद्योगिक विकास को वैश्विक तकनीकी सहयोग से बल मिल रहा है।
एक्साइड इंडस्ट्रीज़: कर्नाटक में बैटरी उत्पादन की नई परिभाषा
एक्साइड इंडस्ट्रीज़ ने कर्नाटक में अपनी गीगाफैक्ट्री स्थापित करने का निर्णय लिया है, जिसकी प्रारंभिक क्षमता 6 GWh होगी और भविष्य में इसे 12 GWh तक बढ़ाया जाएगा। कंपनी चीनी कंपनी SVOLT के साथ साझेदारी कर रही है और लिथियम-आयन बैटरी निर्माण के क्षेत्र में कदम रख चुकी है। एक्साइड की यह रणनीति इसे पारंपरिक बैटरी निर्माता से हाई-टेक बैटरी इनोवेटर में बदलने की दिशा में अग्रसर कर रही है।
टाटा समूह: गुजरात के साणंद से वैश्विक मंच पर प्रवेश की तैयारी
टाटा समूह ने अपनी गीगाफैक्ट्री के लिए साणंद, गुजरात को चुना है। यह परियोजना ₹13,000 करोड़ के भारी निवेश के साथ 20 GWh क्षमता की होगी। निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होने की संभावना है। यह टाटा की ईवी रणनीति का अभिन्न हिस्सा है, जहां बैटरी निर्माण से लेकर ईवी वाहन उत्पादन तक का एक एकीकृत इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है।
लॉग 9 मटेरियल्स: बेंगलुरु से उठता नवाचार का सूरज
लॉग 9 मटेरियल्स ने जक्कूर, बेंगलुरु में भारत की पहली वाणिज्यिक लिथियम-आयन सेल निर्माण सुविधा शुरू की है। इसकी प्रारंभिक क्षमता 50 MWh है, जिसे 1 GWh तक विस्तारित करने की योजना है। कंपनी LTO और LFP सेल्स पर कार्य कर रही है, जो उच्च तापमान सहनशक्ति और तेज चार्जिंग की क्षमता रखते हैं। यह पहल भारत को बैटरी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
जेएसडब्ल्यू एनर्जी: एलजी एनर्जी सॉल्यूशन के साथ वैश्विक साझेदारी की ओर
जेएसडब्ल्यू एनर्जी एक संभावित $1.5 बिलियन के संयुक्त उद्यम की योजना बना रही है, जिसमें कोरियाई कंपनी LG Energy Solution के साथ साझेदारी की संभावना है। इस परियोजना की क्षमता 10 GWh होगी और इसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा भंडारण के लिए बैटरी निर्माण करना है। यह एक रणनीतिक निवेश है, जिससे भारत को वैश्विक बैटरी निर्माण नेटवर्क में एक मजबूत स्थान मिल सकता है।
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चुनौतियाँ और सरकारी रणनीति
हालांकि इन परियोजनाओं में गति देखी जा रही है, परंतु PLI योजना के तहत निर्धारित समयसीमा को पूरा करना कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। ओला इलेक्ट्रिक, रिलायंस और राजेश एक्सपोर्ट्स को समयसीमा में चूक के कारण जुर्माने का सामना करना पड़ रहा है। ये जुर्माने प्रतिदिन के आधार पर लगाए जा रहे हैं और भविष्य में मिलने वाले लाभों से कटौती की जाएगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार बैटरी निर्माण के क्षेत्र में अनुशासन और नियोजन को लेकर गंभीर है।