
2025 में ग्रीन एनर्जी-Green Energy निवेश ने भारतीय शेयर बाजार में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। जिन निवेशकों ने समय रहते इस उभरते क्षेत्र में पूंजी लगाई, उन्हें जबरदस्त रिटर्न मिला है, जिससे कई लोग करोड़पति बन गए। रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की ओर सरकार का बढ़ता झुकाव, निजी कंपनियों की आक्रामक रणनीति और वैश्विक ट्रेंड्स ने इस सेक्टर को निवेश का सबसे हॉट गंतव्य बना दिया है।
सरकार की नीतियों और बजट से मिला सेक्टर को बल
2025 के केंद्रीय बजट में रिन्यूएबल एनर्जी के लिए ₹26,549 करोड़ का आवंटन किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 53.5% अधिक है। यह कदम सरकार की हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस आवंटन से विशेष रूप से सोलर एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन और एनर्जी स्टोरेज जैसी परियोजनाओं को मजबूती मिली है। इससे सेक्टर में नई जान आई है और निवेशकों का विश्वास भी बढ़ा है।
निजी क्षेत्र की आक्रामक रणनीति ने जोड़ा भरोसा
निजी कंपनियों ने भी इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। अडानी समूह ने राजस्थान में ₹7.5 लाख करोड़ (लगभग $88 बिलियन) की हरित ऊर्जा परियोजनाओं की घोषणा की है। इसमें 100 गीगावॉट (GW) की उत्पादन क्षमता शामिल है, जो इसे भारत की सबसे बड़ी Renewable Energy परियोजनाओं में से एक बनाता है। वहीं, टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी ने आंध्र प्रदेश में $5.6 बिलियन के निवेश की योजना बनाई है, जिसमें 7 GW की ग्रीन एनर्जी परियोजनाएं शामिल हैं। इन बड़े कदमों से यह स्पष्ट है कि भारत का निजी क्षेत्र इस परिवर्तनकारी ऊर्जा यात्रा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
निवेशकों को मिला रिकॉर्ड तोड़ रिटर्न
2025 में ग्रीन एनर्जी स्टॉक्स ने निवेशकों को चौंकाने वाला रिटर्न दिया है। कुछ कंपनियों ने 100% से अधिक रिटर्न प्रदान किया है, जबकि कुछ ने तो 300% से भी ऊपर का लाभ दिया है। KPI ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने 127.61% का रिटर्न दिया, कर्मा एनर्जी लिमिटेड ने 325.30%, और तारिणी इंटरनेशनल लिमिटेड ने 366.72% का रिटर्न दर्ज किया। अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और वारेई रिन्यूएबल टेक्नोलॉजीज ने भी क्रमशः 150%+ और 100%+ का रिटर्न दिया है। यह प्रदर्शन दर्शाता है कि निवेशकों के लिए ग्रीन एनर्जी अब सिर्फ पर्यावरणीय सरोकार नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से लाभदायक अवसर भी है।
लंबी अवधि के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है सेक्टर
विशेषज्ञ मानते हैं कि ग्रीन एनर्जी में निवेश एक दीर्घकालिक रणनीति के रूप में देखा जाना चाहिए। तकनीकी विकास, वैश्विक पर्यावरणीय समझौते और नीति-समर्थन इसे भविष्य के लिए सुरक्षित और लाभकारी विकल्प बनाते हैं। हालांकि, किसी भी सेक्टर की तरह इसमें भी जोखिम हैं — जैसे सरकार की नीतियों में बदलाव, तकनीकी प्रतिस्पर्धा और वित्तीय प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव। इसलिए निवेश से पहले उचित रिसर्च, कंपनी की फंडामेंटल स्थिति और सेक्टर की ग्रोथ पोटेंशियल को समझना जरूरी है।
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भारत की ग्रीन ऊर्जा क्रांति और भविष्य की दिशा
भारत अब विश्व के उन देशों की कतार में शामिल हो गया है जो अपने एनर्जी पोर्टफोलियो को ग्रीन और क्लीन बना रहे हैं। भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक 500 GW की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल की जाए। यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों के समन्वय के बिना संभव नहीं है। वर्तमान निवेश, सरकारी प्रोत्साहन और जागरूक निवेशकों की रुचि इस दिशा में भारत को एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता बना सकते हैं।