
भारत ने अपने देश में Renewable Energy और Hydrogen Mobility को बढ़ावा देने की दिशा मे एक बड़ा ऐतिहासिक कदम उठाते हुए NTPC Limited ने देश की पहली Hydrogen Fuel Cell Buses का संचालन कर (Ladakh) मे 18 जून 2025 को औपचारिक रूप से शुरू कर दिया। इस मौके पर NTPC ने इन बसों को Sindhu Infrastructure Development Corporation (SIDCO) को सौंपा। इसके अलावा इस लेह की 11,562 फीट की ऊंचाई पर Hydrogen Fuel Cell Buses का संचालन कर भारत ने न केवल स्वदेशी Hydrogen Powered Commercial Transport को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि विश्व का सबसे ऊंचाई पर Hydrogen Fuel Cell Bus परिचालन का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया। यह परियोजना भारत की Carbon Neutrality और Net Zero Emission 2070 टारगेट को पूरा करने की हिम्मत रखती है।
लेह मे ग्रीन हाइड्रोजन बसों की नई शुरुआत
NTPC का Green Hydrogen Mobility Project लेह में Hydrogen Fuel Cell Buses के संचालन के अलावा विश्व का पहला High Altitude Hydrogen Fueling Station भी संचालित कर रहा है। यह Hydrogen Fueling Station नवंबर 2024 में चालू किया गया था। इस स्टेशन को 1.7 मेगावाट की क्षमता वाले Solar Plant से ऊर्जा मिलती है, जिससे Hydrogen Fuel का उत्पादन शत-प्रतिशत Renewable Energy से किया जाता है। इस पहल के माध्यम से लेह जैसे कठिन भूगोल वाले क्षेत्र में शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को साकार किया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में भारत की तकनीकी क्षमता और दूरदृष्टि का परिचायक बन गया है।
पहली बार 350 बार हाई प्रेशर हाइड्रोजन सिस्टम का प्रयोग
इस परियोजना की एक और खासियत यह है कि भारत में पहली बार 350 bar के High Pressure Hydrogen Dispensing System का प्रयोग किया गया है। यह अत्याधुनिक प्रणाली Hydrogen Fuel Cell Buses को सुरक्षित और कुशल तरीके से ईंधन भरने में सक्षम बनाती है। खासतौर पर लेह जैसे इलाके, जहां तापमान शून्य से नीचे चला जाता है और वातावरण विरल होता है, वहां इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल बेहद जरूरी था। इस तकनीक ने दिखा दिया कि भारत कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी Clean Energy Solutions को सफलतापूर्वक लागू कर सकता है।
परियोजना से पर्यावरण को फायदा हर साल 350 टन कार्बन कम होगा
NTPC की इस महत्वाकांक्षी Hydrogen Fuel Cell Bus परियोजना से सालाना लगभग 350 मीट्रिक टन Carbon Emissions में कमी आने का अनुमान है। इसके साथ ही इस परियोजना से सालाना लगभग 230 मीट्रिक टन शुद्ध ऑक्सीजन का उत्पादन होगा, जो पर्यावरणीय दृष्टि से लगभग 13,000 पेड़ों को लगाने के बराबर है। इस प्रकार यह परियोजना न केवल लेह बल्कि पूरे लद्दाख क्षेत्र में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायक सिद्ध होगी। इससे Fossil Fuel पर निर्भरता कम होगी और Sustainable Public Transport को बढ़ावा मिलेगा।
लद्दाख प्राशन की तारीफ दूसरे ऊंचे इलकों मे फैलाने की जरूरत
इस अनूठी पहल की लद्दाख के Chief Secretary और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने सराहना की। उन्होंने Hydrogen Technologies के विस्तार की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इस परियोजना से मिली तकनीकी सीखों और अनुभवों का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए ताकि देश के अन्य ऊंचाई वाले और दूरस्थ क्षेत्रों में भी इसी तरह की Clean Energy Projects विकसित किए जा सकें। इस अवसर पर अधिकारियों ने लद्दाख को Carbon Neutral क्षेत्र बनाने की दिशा में इस परियोजना को एक महत्वपूर्ण कदम बताया और NTPC की इस उपलब्धि को भविष्य की Hydrogen Economy के लिए प्रेरक माना।
हाइड्रोजन बसों से देश की अर्थव्यवस्था को नया जोर मिलेगा
Hydrogen Fuel Cell Buses का यह पहला बेड़ा लेह की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को हरित ऊर्जा से जोड़ने का प्रतीक बन चुका है। यह पहल देशभर में Hydrogen Economy को मजबूती देने की दिशा में मील का पत्थर है। इससे भविष्य में Hydrogen Fuel आधारित सार्वजनिक परिवहन को अपनाने की गति बढ़ेगी और Fossil Fuel पर निर्भरता को कम किया जा सकेगा। लेह जैसे कठिन इलाके में इस परियोजना की सफलता यह साबित करती है कि भारत Renewable Energy और Hydrogen Mobility के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह परियोजना Net Zero Emission 2070 लक्ष्य की दिशा में भारत की प्रगति का प्रतीक बन चुकी है।