
Battery Recycling आज के दौर में ना केवल पर्यावरण-संरक्षण का एक प्रमुख माध्यम बनता जा रहा है, बल्कि यह निवेश और मुनाफे के नए अवसर भी खोल रहा है। खासकर भारत जैसे विकासशील देश में, जहाँ ईवी-इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और Renewable Energy का तेजी से विस्तार हो रहा है, वहाँ बैटरी रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री एक “नया गोल्ड माइन” बनती नजर आ रही है। इस उभरते हुए सेक्टर में Lohum जैसी कंपनियाँ अग्रणी भूमिका निभा रही हैं और निवेशकों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।
यह भी देखें: 24V, 48V या 96V बैटरी सिस्टम – किस सोलर सेटअप के लिए क्या चुनें?
Battery Recycling केवल एक उद्योग नहीं, बल्कि भारत के ग्रीन फ्यूचर की दिशा में एक ठोस कदम है। Lohum जैसी कंपनियाँ इस दिशा में न केवल व्यापारिक सफलता पा रही हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी जिम्मेदारी निभा रही हैं। अगर यह रफ्तार बनी रही, तो जल्द ही भारत इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व हासिल कर सकता है।
बैटरी रीसाइक्लिंग क्यों बन रहा है हाई-प्रोफिट सेक्टर
भारत में हर साल लाखों टन लीथियम-आयन बैटरियाँ खत्म हो रही हैं, जो पर्यावरण के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हैं। इन्हें रीसाइकल करके न केवल कीमती मेटल्स जैसे लीथियम, कोबाल्ट, निकल और ग्रेफाइट को वापस प्राप्त किया जा सकता है, बल्कि इससे देश को मिनरल्स के आयात पर निर्भरता भी कम करनी पड़ेगी। इसके अलावा, सस्टेनेबल मटेरियल्स का दोबारा उपयोग करके कंपनियाँ अपनी कॉस्ट को भी कम कर रही हैं।
Lohum: भारत की सबसे बड़ी बैटरी रीसाइक्लिंग कंपनी
Lohum भारत की सबसे बड़ी और तेजी से बढ़ती हुई बैटरी रीसाइक्लिंग कंपनी है। कंपनी बैटरियों से निकलने वाले सेकेंडरी मटेरियल्स का दोबारा उपयोग करके उन्हें नए प्रोडक्ट्स के रूप में विकसित करती है। फिलहाल कंपनी का लक्ष्य 200 मेगावॉट घंटे के रीसाइक्लिंग आउटपुट को बढ़ाकर 300 मेगावॉट घंटे तक ले जाना है। Lohum का प्लांट ग्रेटर नोएडा में स्थित है और यह सालाना 10,000 टन से अधिक बैटरियों को प्रोसेस करता है।
यह भी देखें: घर या दुकान के लिए कौन सी सोलर बैटरी है बेस्ट – ये रहा कंपेरिजन
सरकार और उद्योग की भूमिका
भारत सरकार भी Battery Recycling को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। नीति आयोग और ऊर्जा मंत्रालय की ओर से बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट नियम बनाए गए हैं, जिसमें बैटरियों को रीसाइकल करने और उनके सुरक्षित निपटान को अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने वाली FAME-II जैसी योजनाओं ने भी इस सेक्टर में रफ्तार ला दी है।
निवेश और संभावनाएँ
Battery Recycling इंडस्ट्री में निवेश के अवसर लगातार बढ़ते जा रहे हैं। Lohum जैसी कंपनियाँ आईपीओ-IPO लाने की योजना पर काम कर रही हैं, जिससे उन्हें पूंजी जुटाने में आसानी होगी और वे अपनी क्षमता को और बढ़ा सकेंगी। इसके साथ ही कई विदेशी निवेशक भी भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी ले रहे हैं।
ग्रीन फ्यूचर की ओर भारत की छलांग
Renewable Energy के क्षेत्र में भारत की बढ़ती दिलचस्पी, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की बढ़ती मांग और पर्यावरण के प्रति जागरूकता ने बैटरी रीसाइक्लिंग को एक अहम स्तंभ बना दिया है। Lohum जैसी कंपनियाँ न केवल मुनाफा कमा रही हैं, बल्कि एक सस्टेनेबल फ्यूचर के निर्माण में भी योगदान दे रही हैं।
यह भी देखें: Rechargeable और Non-Rechargeable बैटरी में क्या अंतर है?
भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि यह सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसमें कई चुनौतियाँ भी हैं—जैसे टेक्नोलॉजिकल अपग्रेडेशन, स्किल्ड मैनपावर की कमी, और प्रभावी कलेक्शन नेटवर्क की जरूरत। इन चुनौतियों से निपटने के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप, रिसर्च एंड डेवलपमेंट में निवेश और गवर्नमेंट सपोर्ट की जरूरत है।