क्या रिन्यूएबल एनर्जी से पूरी दुनिया की बिजली ज़रूरत पूरी हो सकती है?

दुनिया एक ऐतिहासिक ऊर्जा परिवर्तन की दहलीज पर खड़ी है! स्टैनफोर्ड वैज्ञानिकों से लेकर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों तक सभी का मानना है कि 2050 तक 90% से अधिक बिजली सौर और पवन ऊर्जा से आ सकती है। क्या हम कोयले और तेल से पूरी तरह मुक्त हो पाएंगे? जानिए इस रोमांचक भविष्य की पूरी सच्चाई!

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Written by Rohit Kumar

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क्या रिन्यूएबल एनर्जी से पूरी दुनिया की बिजली ज़रूरत पूरी हो सकती है?
क्या रिन्यूएबल एनर्जी से पूरी दुनिया की बिजली ज़रूरत पूरी हो सकती है?

रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) आज के समय में वैश्विक ऊर्जा नीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। दुनिया भर में ऊर्जा संकट और जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चिंताओं के बीच, यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या रिन्यूएबल एनर्जी से पूरी दुनिया की बिजली ज़रूरतें पूरी की जा सकती हैं। तकनीकी रूप से इसका उत्तर ‘हाँ’ है, लेकिन इसके लिए बड़े पैमाने पर वैश्विक निवेश, सशक्त नीति समर्थन और उन्नत बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी।

वैश्विक स्तर पर Renewable Energy का संभावित भविष्य

अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) के अनुमान के अनुसार, 2050 तक दुनिया की 90% बिजली आवश्यकताएँ रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों से पूरी की जा सकती हैं। वहीं इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी वैश्विक बिजली मांग का लगभग 50% हिस्सा पूरा कर सकती है। इसमें सौर ऊर्जा (Solar Energy) और पवन ऊर्जा (Wind Energy) की अग्रणी भूमिका रहेगी।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्क जैकब्सन और उनकी टीम ने 145 देशों के लिए जो रोडमैप तैयार किया है, उसमें यह दिखाया गया है कि 2050 तक पूरी दुनिया 100% रिन्यूएबल एनर्जी पर निर्भर हो सकती है। यह न केवल पर्यावरण के लिहाज से फायदेमंद होगा, बल्कि आर्थिक रूप से भी व्यवहार्य साबित हो सकता है।

तकनीकी और बुनियादी चुनौतियाँ

हालांकि रिन्यूएबल एनर्जी को मुख्यधारा में लाने के रास्ते में कुछ अहम चुनौतियाँ हैं। पहली चुनौती अंतरिमता (Intermittency) की है, क्योंकि सौर और पवन ऊर्जा का उत्पादन मौसम और समय के अनुसार बदलता रहता है। इस अस्थिरता को संतुलित करने के लिए मजबूत ऊर्जा भंडारण प्रणालियों और उन्नत ग्रिड संरचनाओं की आवश्यकता है।

दूसरी बड़ी चुनौती ऊर्जा भंडारण (Energy Storage) और स्मार्ट ग्रिड (Smart Grid) प्रणाली का विकास है। बैटरियाँ, हाइड्रोजन स्टोरेज और अन्य उन्नत तकनीकों के माध्यम से बिजली की आपूर्ति और मांग के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है।

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तीसरी चुनौती नीति समर्थन और निवेश (Policy and Investment) की है। विकसित देशों के साथ-साथ विकासशील देशों में भी ऊर्जा अवसंरचना को उन्नत बनाने के लिए सरकारों को ठोस नीति बनानी होगी और निजी क्षेत्र को भारी निवेश के लिए प्रोत्साहित करना होगा।

चौथी चुनौती भौगोलिक विविधता (Geographic Diversity) से जुड़ी है। हर देश की जलवायु, भूगोल और प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता अलग-अलग होती है, जिससे रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों की तैनाती में क्षेत्रीय अंतर आता है।

भारत में Renewable Energy का वर्तमान और भविष्य

भारत ने रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। सरकार ने 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। सौर ऊर्जा मिशन और राष्ट्रीय पवन ऊर्जा मिशन जैसी योजनाओं ने इस दिशा में गति दी है।

हालांकि, भारत को भी ऊर्जा भंडारण तकनीकों के विकास, ग्रिड आधुनिकीकरण, और प्रभावी नीति कार्यान्वयन में सुधार करने की आवश्यकता है। ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों तक रिन्यूएबल एनर्जी पहुँचाने के लिए भी विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे ऊर्जा समावेशन (Energy Inclusion) को बढ़ावा मिल सके।

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Rohit Kumar
रोहित कुमार सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में अनुभवी कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 7 वर्षों का गहन अनुभव है। उन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सौर ऊर्जा की अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं, और सौर ऊर्जा नवीनतम तकनीकी रुझानों पर शोधपूर्ण और सरल लेखन किया है। उनका उद्देश्य सोलर एनर्जी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पाठकों को ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं से परिचित कराना है। अपने लेखन कौशल और समर्पण के कारण, वे सोलर एनर्जी से जुड़े विषयों पर एक विश्वसनीय लेखक हैं।

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