
आज के दौर में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy क्षेत्र में बढ़ती जागरूकता और सरकारी योजनाओं के चलते आम लोग अब बिजली की बचत के साथ-साथ कमाई के विकल्प भी तलाश रहे हैं। ऐसे में 5 किलोवाट (kW) का सोलर सिस्टम लगाकर हर महीने ₹10,000 कमाने का दावा लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है। सवाल ये उठता है कि क्या वाकई में ऐसा संभव है? आइए इस दावे की तह में चलते हैं और जानते हैं कि इसके पीछे की असलियत क्या है।
5kW सोलर सिस्टम से कितनी बिजली का उत्पादन होता है?
एक सामान्य 5 किलोवाट का सोलर सिस्टम प्रतिदिन औसतन 20 यूनिट बिजली उत्पन्न करता है। इस हिसाब से यह सिस्टम महीने में करीब 600 यूनिट (kWh) तक बिजली बना सकता है। हालांकि, यह उत्पादन कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि मौसम, सूर्य की रोशनी की उपलब्धता, छत की दिशा और सोलर पैनलों की गुणवत्ता। फिर भी सामान्य परिस्थितियों में यह आंकड़ा यथार्थ के करीब है और एक औसत भारतीय घर की दैनिक बिजली जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकता है।
बिजली की दरों के हिसाब से कितनी बचत होती है?
यदि आपके इलाके में बिजली की दर ₹5.50 प्रति यूनिट है, तो आप महीने भर में लगभग ₹3,300 की बचत कर सकते हैं। वहीं कुछ राज्यों में जहां बिजली की दर ₹10 प्रति यूनिट तक है, वहां यही बचत ₹6,000 तक जा सकती है। यानी जितनी ज्यादा बिजली की दरें होंगी, उतनी ही आपकी बचत और परोक्ष रूप से कमाई भी ज्यादा होगी। यह आंकड़ा बताता है कि सिर्फ सोलर पावर से अपनी बिजली जरूरतों को पूरा करके भी आप हजारों रुपए की बचत कर सकते हैं।
नेट मीटरिंग से कैसे होती है अतिरिक्त कमाई?
नेट मीटरिंग-Net Metering एक ऐसी सुविधा है जिसमें आप सोलर सिस्टम से बची हुई अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेज सकते हैं। इसके बदले में आपको बिजली बिल में क्रेडिट या सीधे भुगतान मिल सकता है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि आपकी खुद की बिजली खपत अधिक है, तो ग्रिड में बहुत कम यूनिट ही जा पाएंगी। इस स्थिति में ₹10,000 प्रतिमाह की कमाई करना संभव नहीं लगता। खासकर तब, जब सोलर सिस्टम का आकार सिर्फ 5 किलोवाट हो।
ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सिस्टम में कौन ज्यादा लाभदायक?
अगर आप 5kW का ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम-On-Grid Solar System लगवाते हैं तो उसकी लागत ₹2,50,000 से ₹3,50,000 के बीच हो सकती है। इस सिस्टम में बैटरी नहीं लगती और यह सीधे ग्रिड से जुड़ता है। दूसरी ओर, ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम-Off-Grid Solar System में बैटरियों की जरूरत होती है, जिससे इसकी लागत और रखरखाव की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। आमतौर पर घरेलू उपयोग के लिए ऑन-ग्रिड सिस्टम ज्यादा प्रभावी और किफायती साबित होता है।
सरकारी सब्सिडी और योजनाओं से कितना लाभ?
भारत सरकार और राज्य सरकारें रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy को प्रोत्साहित करने के लिए सोलर सिस्टम पर 20% से 40% तक की सब्सिडी देती हैं। इससे आपके शुरुआती निवेश की लागत काफी कम हो जाती है। PM-KUSUM जैसी योजनाएं किसानों के लिए लाभकारी हैं, जबकि Rooftop Solar Schemes शहरी निवासियों के लिए सब्सिडी प्रदान करती हैं। इन योजनाओं का लाभ उठाकर आप अपने निवेश को और अधिक व्यवहारिक बना सकते हैं।
निवेश पर रिटर्न यानी Return on Investment (ROI)
एक औसतन 5kW का सोलर सिस्टम 4 से 6 वर्षों में अपनी लागत निकाल देता है। यानी इतने समय में बिजली की बचत के माध्यम से जो राशि बचती है, वह आपके निवेश को कवर कर देती है। इसके बाद जो भी बिजली उत्पन्न होती है, वह सीधा लाभ या आय बन जाती है। लंबे समय में यह निवेश काफी फायदेमंद साबित हो सकता है, खासकर जब बिजली दरों में लगातार वृद्धि हो रही हो।
क्या वाकई ₹10,000 प्रतिमाह की कमाई संभव है?
अगर आप सिर्फ घरेलू उपयोग, बिजली की बचत और नेट मीटरिंग पर निर्भर हैं, तो ₹10,000 प्रतिमाह की सीधी कमाई कर पाना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन यदि आप अधिक बिजली की खपत करते हैं, उच्च दरों पर बिजली खरीदते हैं, और सरकारी सब्सिडी का भरपूर लाभ उठाते हैं, तो यह लक्ष्य किसी हद तक साकार हो सकता है। इसके अलावा, यदि आप इस सोलर सिस्टम का उपयोग किसी छोटे व्यवसाय जैसे EV चार्जिंग स्टेशन, सोलर वॉटर पंप या किराये के उद्देश्य से करते हैं, तो आय के नए रास्ते खुल सकते हैं।