
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy का चलन तेजी से बढ़ रहा है और सोलर पैनल इसकी सबसे अहम कड़ी बन चुके हैं। सरकार की ओर से मिल रही सब्सिडी और बिजली बिल में कटौती जैसे फायदों के चलते लाखों लोग अब सोलर एनर्जी की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन सोलर पैनल लगाते समय की गई कुछ सामान्य गलतियाँ भविष्य में न केवल परेशानी का कारण बन सकती हैं, बल्कि आपके आर्थिक नुकसान का कारण भी बन सकती हैं।
बिना योजना के सोलर सिस्टम लगाने से हो सकता है घाटा
सोलर पैनल इंस्टालेशन से पहले एक ठोस योजना का होना बेहद जरूरी है। कई बार लोग जल्दबाज़ी में बिना अपनी वर्तमान और भविष्य की ऊर्जा जरूरतों का आकलन किए हुए सोलर सिस्टम लगवा लेते हैं। इससे भविष्य में जब ऊर्जा जरूरतें बढ़ती हैं तो उन्हें सिस्टम को अपग्रेड करना मुश्किल हो जाता है या अतिरिक्त लागत उठानी पड़ती है। इसलिए जरूरी है कि सोलर पैनल लगवाने से पहले घर या व्यवसाय की पूरी ऊर्जा खपत का मूल्यांकन किया जाए और उसी के अनुसार सिस्टम की क्षमता तय की जाए।
असंगत घटकों के कारण घट सकती है सिस्टम की कार्यक्षमता
एक और बड़ी गलती जो लोग अक्सर करते हैं वह है विभिन्न स्रोतों से सोलर सिस्टम के घटकों को खरीदना। बैटरी एक जगह से, इन्वर्टर दूसरी जगह से और पैनल कहीं और से खरीदने से घटकों के बीच संगतता का अभाव हो सकता है। इससे सोलर सिस्टम की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है और ऊर्जा उत्पादन कम हो जाता है। एक विश्वसनीय ब्रांड या इंस्टॉलर से पूरी किट लेना इस समस्या से बचने का सबसे अच्छा उपाय है।
गलत डिज़ाइन से उत्पादन क्षमता हो सकती है कम
सोलर सिस्टम की डिज़ाइनिंग में कई तकनीकी पहलुओं का ध्यान रखना होता है जैसे छत की दिशा, पैनल का झुकाव, आसपास की छाया, स्थानीय जलवायु आदि। अगर इन बातों को नजरअंदाज कर दिया जाए तो सोलर पैनल पूरा उत्पादन नहीं दे पाते। उदाहरण के लिए, अगर पैनल ऐसी जगह लगते हैं जहां दिन के अधिकांश समय छाया रहती है तो उसका सीधा असर बिजली उत्पादन पर पड़ेगा। इसलिए इंस्टालेशन से पहले एक सटीक डिज़ाइन और साइट सर्वे जरूरी है।
वारंटी और सर्विस को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी
सोलर पैनल खरीदते समय लोग अक्सर ब्रांड और कीमत पर ध्यान तो देते हैं लेकिन वारंटी और सर्विस शर्तों को पढ़ना भूल जाते हैं। जबकि यह एक बहुत ही जरूरी पहलू है। कुछ कंपनियाँ लंबी वारंटी देती हैं जो कि भविष्य में सिस्टम के किसी भी तकनीकी खराबी में मददगार साबित होती हैं। साथ ही, यह भी देखना चाहिए कि इंस्टॉलर भविष्य में सर्विस और मेंटेनेंस देगा या नहीं। विश्वसनीय कंपनियों की वारंटी पॉलिसी पारदर्शी होती है और क्लेम प्रोसेस आसान होता है।
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अनुभवहीन इंस्टॉलर से बढ़ सकती हैं समस्याएं
सोलर इंस्टालेशन एक तकनीकी प्रक्रिया है जिसे विशेषज्ञता की जरूरत होती है। कई बार लोग केवल कम कीमत के चक्कर में अनुभवहीन इंस्टॉलर से सिस्टम लगवा लेते हैं जो कि लंबे समय में नुकसानदायक साबित होता है। गलत वायरिंग, गलत झुकाव या असुरक्षित फिटिंग जैसे कारणों से सोलर सिस्टम की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और कई बार दुर्घटना का भी खतरा बन जाता है। इसलिए हमेशा प्रमाणित और अनुभवी इंस्टॉलर को ही चुनें।
जागरूकता और सही जानकारी से बचा सकते हैं नुकसान
ऊर्जा बचत और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से सोलर एनर्जी एक बेहतरीन विकल्प है, लेकिन इसके अधिकतम लाभ के लिए जरूरी है कि लोग पूरी जानकारी के साथ ही इसमें निवेश करें। सोलर पैनल लगवाने से पहले सरकार की गाइडलाइन्स, सब्सिडी की शर्तें, ब्रांड की रेटिंग, इंस्टॉलर की योग्यता और सिस्टम की आवश्यकताओं की अच्छी तरह से जांच करना जरूरी है। इससे न केवल तकनीकी त्रुटियों से बचा जा सकता है, बल्कि लंबे समय में आर्थिक रूप से भी लाभ मिल सकता है।